Sunday, September 22, 2024

 मणिमहेश—सहस्र मणि पर्वत-झील

इस पुस्तक का विषय मणिमहेश झील और कैलाश है, जिसे प्राचीन लोग हिमवान( के नाम से जानते थे   यह  इस क्षेत्र के मानव इतिहास के बारे में सरोकार रखता है, और जिसके बारे में अभी तक किसी ने चर्चा नहीं की है । यह चंबा के उस इतिहास को भी उजागर करती है जो अभी तक प्राचीन ग्रन्थों जैसे पुराण, रामायण और महाभारत के पन्नों में दबा पड़ा था ।

यह लेखन पाठकों के साथ राजा पुरुरवा की आध्यात्मिक यात्रा के प्रथम दृष्टा वृतांत की विस्तृत चर्चा भी करता है जिसमें उसकी किन्नरों, यक्षों, गन्धर्वों और अप्सराओं से भेंट होती है । उर्वशी और पुरुरवा की कारुणिक कथा की भी चर्चा की गयी है ।

रावी घाटी और चंबा के बारे में कई आश्चर्यजनक तथ्यों के साथ यह पुस्तक पहली बार यह भी रहस्योद्घाटन करती है कि मणिमहेश को मणि-महेश ही क्यों कहा जाता है । यहाँ यह भी प्रकटीकरण किया गया है कि चंबा, न केवल शिव की काशी जितनी, वरन( मनु के प्रलय काल से भी पुरानी एक प्राचीनतम बसावट है । इस पुस्तक को यह जानने के लिए भी अवश्य पढ़िये की आखिर क्यों रावी घाटी इन्द्र की प्रिय थी । 

चंबा का ज्ञात इतिहास 920 वर्ष ईसा पूर्व तक है जब यह माना जाता है कि साहिल वर्मन ने इसे अपनी राजधानी घोषित किया, परंतु यह पुस्तक आप को 2200 वर्ष ईसा पूर्व तक इतिहास-यात्रा पर ले जाती है ।


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पुस्तक का मूल्य रूपए 350/- मात्र है . 


लेखक का परिचय :

अंग्रेजी  साहित्य और प्राचीन इतिहास में स्नातकोत्तर । भारत के राष्ट्रपति के करकमलों द्वारा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से दो स्वर्ण पदक प्राप्त ।   प्रदेश और अखिल भारत कला प्रदर्शनियों और प्रतियोगिताओं में चित्रकला और फोटोग्राफी में अनेक पुरस्कार । ललित कला अकादमी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली; राष्ट्रीय ललित कला केन्द्र, लखनऊ, वाराणसी, शिमला; और संस्कार भारती द्वारा सम्मानित । फ्रेंच भाषा में डिप्लोमा । डी.एच.एम.एस. ।  होम्योपैथी एवं बायोकैमिक कंसल्टेंट । 

प्रकाशित पुस्तकें:  Four Eras of the Battling Gods & Mortals  Astronomical Milestones of the Four Eras और  Manimahesh—The Mountain Lake of Thousand Jewels.







 Manimahesh--The Mountain Lake of Thousand Jewels 

The subject of this book is Manimahesh Lake and Kailash, known as Himvan to the ancients. It deals in human history of the region, which hitherto no one has discovered, unveiling the annals of Chamba that laid buried in the pages of ancient scriptures, like Puranas, Ramayan and Mahabharat.

This work provides the readers with the first comprehensive account of the pilgrimage of king Pururava, encountering Kinners, Yakshas, Gandharvas and Apsaras on the way. Tragic story of Urvashi and Pururava is also dealt with.

Along with many surprising facts about Ravi valley and Chamba, this book also unfolds the ‘secret’ for the first time as to why Manimahesh is called ‘Mani’-Mahesh. Chamba is revealed as one of the oldest settlements, as old as Kashi of Shiv and even older than the Great Flood of Manu. A must-read book to know why the valley was also favourite of Indra.

Known history of Chamba goes back to 920 AD, when it is said that Sahil Varman made it his capital. This book takes you on a history-ride to 2200 BC.

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Book is also available on Kitab Ghar, Gaiety, The Mall Shimla. 

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The price of the book is Rs 350 0nly.  



Author introduction :

Dr. Suresh Sharma

Master’s Degrees in English Literature and Ancient History. Recipient of two gold medals from Himachal Pradesh University from President of India.  Awarded for Painting and Photography at State and All India Art Exhibitions and Competitions severally. Honoured by Lalit Kala Akademi, Ministry of Culture, Govt. of India, New Delhi; Rashtriya Lalit Kala Kendra, Lucknow, Varanasi, Shimla; and Sanskar Bharti. Diploma in French Language. DHMS. Homoeopathic & Biochemic Consultant.

Author of the books Four Eras of the Battling Gods & Mortals,  Astronomical Milestones of the Four Eras’ and मणिमहेश—सहस्र मणि पर्वत-झील